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Tuesday, August 29, 2017

Barish Shayari by Jot Chahal


1
कश्मकश कुछ इस कदर है जिंदगी में
कि कोई दुआ भी उसे सुलझा न सकी,
दिल में लगी है आग कुछ इस तरह से
आँखों से होती बारिश भी इसे बुझा न सकी।
2.
कब से दबा रखी है दिल में
काश पूरी ख्वाहिश हो जाए
मिल जाए वो हमें उम्र भर के लिए तो
दिल की इस बंजर धरती पर खुशियों की
बारिश हो जाए।
3.
सींचता रहा मैं जिस रिश्ते को
प्यार के नीर से
गलतफहमियों की बारिश में
मिट गए वो तकदीर से।
4.
लिपट रही है पाँव में
सर पे जो चढ़ रही थी
जब-जब पड़ी थी बारिश
धूल अपनी फितरत बदल रही थी।
5.
जरूर दिल किसी ने बादलों का भी दुखाया होगा,
वर्ना इतनी शिद्दत से बरसता कौन है।
6.
ऋतुओं ने अपना रुख कुछ इस तरह से बदला है
कि आज ये बदल बेमौसम ही बरसा है,
बहुत मुद्दत की दुवाओं के बाद मिले हो तुम
क्या बतायें तुमसे मिलने के लिए
ये दिल कितना तरसा है?
7.
अमीरों के महल पर तो कोई असर न होगा
डर तो गरीब की झोंपड़ी के बहने का है,
बदल का तो काम है बरसना
सवाल तो उस बरसात में डटे रहने का है।
8.
खिल उठे ये पेड़ और पौधे
छाई चारों ओर हरियाली है,
सावन में पड़ती इस बारिश की
अदा ही बहुत निराली है।
9.
दूर हुए तुझसे अरसा हो गया
मगर ये बारिश आज तुम्हारी याद दिला रही है,
दिल का हर अरमान हो चुका है ठंडा
और सीने में एक अजीब सी आग जल रही है।
10.
बड़ी मुद्दतों से जो हम चाहते थे आज वो ही बात हो गयी,
तुम क्या मिले जो हमें जिंदगी में खुशियों की बरसात हो गयी।
11.
जमीं को चूमने जो आसमाँ से निकली वो
समां गयी इस कदर की उसका कोई वजूद न रहा।
12.
सफेदपोश जो बैठे हैं काले धंधे करके
वो डरते हैं कहीं उनके राज न खुल जाएँ,
रोकते हैं वो इस वजह से सच्चाई की बारिश को
कहीं इस बरसात में उनके झूठ न धुल जाएँ।
13.
सारी शब होती रही अश्कों की बरसात बेइन्तेहाँ
आँखें सूख चुकी थीं सहर होते-होते।
14.
काली घटाओं ने जब-जब धरती को पानी से भिगाया है,
मेरा बचपन हर बार लौट कर मेरे सामने आया है।
15.
अश्कों की बारिश में डूब गया हर अरमान मेरा
जिंदगी के दरिया में अब तैरने कि ख्वाहिश न रही।

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