पहेली हूँ मैं
दुनिया की भीड़ में अकेली हूँ मैं
कोई न सुलझा पाए वो पहेली हूँ मैं।
आकाश कवि की कविता
दिशा विहीन एक सरिता
अदृश्य ख्वाबों की सहेली हूँ मैं
कोई न सुलझा पाए वो पहेली हूँ मैं।
पंख बिना ही उड़ने वाली
दिशा बिना ही बहने वाली
बिना राह की चलने वाली अलबेली हूँ मैं
कोई न सुलझा पाए वो पहेली हूँ मैं।
शब्द विहीन एक परिभाषा
सोयी आँखों की जाग्रत भाषा
ख़ामोश ज़ुबा की भाषा अनकही हूँ मैं
कोई न सुलझा पाए वो पहेली हूँ मैं।
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