Breaking

Sunday, February 11, 2018

Top Best Shayari Collections of 2018

महफ़िल दिल की…

क्यों ना आज की शाम एक महफ़िल सजाई जाए
शायरी के साथ साथ बीते लम्हों की यादें भुलाई जाए ॥

मानो कई जन्मों से तुझे प्यार किया

ना इकरार किया न इज़हार किया,
न ही तेरा दीदार किया,
दिल को फिर भी सकून है,
मानो कई जन्मों से तुझे प्यार किया ||

रूह से रूह मिली नहीं,
पर तन-मन तुझपे वार दिया,
ऐसा नशा दीवानगी का,
मानो कई जन्मों से तुझे प्यार किया ||

हाँ देखा मैंने

हाँ देखा मैंने,
कल देखा मैंने सितारों को,
थिरकते, नाचते उन कलाकारों को,
धुनों में नाचते दर्शक हजारों को,
और सुना मैंने,
सुना किसानो की चिताओं पर मचे हाहाकारों को,
देखा मैंने भूख से मरते बच्चे,
और रोते बिलखते उनके परिवारों को…


वो दायरा है तेरा जिसे तू लांघना चाहता है,
ओ मेरे मन ज़रा संभल कर,
टूटे सपनों और अधूरे ख्वाबों की राह से गुज़रना है,
ओ मेरे मन ज़रा संभल कर,
देख पीछे पड़ा भय तुझे गिराने को तैयार खड़ा है,
ओ मेरे मन ज़रा संभल कर,
जाना उस पार है जो तूफानी दरिया है,
ओ मेरे मन ज़रा संभल कर ||

एक तड़प थी,
एक कसक थी,
एक आशियाँ की तलाश में,
खो गया वो मानुष,
देखो कहाँ गुम हो गया वो मानुष?

कुछ उमीदें थीं,
कुछ सपने थे,
नींदें उडी थी फिर भी
फिर भी सो गया वो मानुष
देखो कहाँ गुम हो गया वो मानुष?

हूँ मैं जिंदा ऐ वतन

हूँ मैं जिंदा ऐ वतन
हूँ मैं जिंदा ऐ वतन
अब थाम ली मैंने कलम
हूँ मैं जिंदा ऐ वतन ||
कश्मीर क्या कन्याकुमारी
कण-कण सुसजित शान तेरी
ग़र अगर मुश्किल में आये
जान है कुर्बान मेरी
करे दुश्मन लाखों यत्न
हूँ मैं जिंदा ऐ वतन ||

शत्रु बना है खून अपना
खौफ बचपन का है सपना
भूखा जले है मुल्क नंगा
शियासी वो उंचा भड़काए दंगा
कदम आखिरी पुकारे है अमन
हूँ मैं ज़िंदा ऐ वतन ||

मेरे शब्द…

हे इंसान
तू कभी भी मेरे शब्दों का अर्थ मत निकलना
ये विचलित करेंगे
अगर हो सके
तो अपने मन को
सोचने की शक्ति देना 
वही तेरा सहारा बनेगा ||
जो मैं कहूँगा 
वह तेरे लिए
सत्य और असत्य की सोच  
की दीवार बन सकता है
तू टटोलना मन को अपने
और बुद्धी को उजागर करना
सबके सुख-दुःख देखकर
मुझे भी बतलाना की मेरी राह क्या है
हे इंसान
तू कभी मेरे शब्दों का अर्थ मत निकलना ||

ओ देश भक्त बनने वालों…

माफ़ करना
ओ देश भक्त बनने वालों
अगर तुम्हे दुख पहुंचे मेरे कथनों से
मैं तो बस सच्चाई वयां कर रहा हूँ
यह जान कर 
कि तुम सच जान कर भी अनजान हो 
तुम लोगों की भलाई करते हो
केवल बातों में
और
बेच आते हो
ईमान को अपने
कि  घर अपना भर सको उस पूंजी से
जो कफ़न भी न बन सकी 
उस इंसान का
जिसने जान दी तुम्हारे लिए
मेहनत मज़दूरी कर
जो मौत की सैंया पर लेटा है  
खाते वक़्त तो उसे याद करना
और माफी मांगना
अपने गुनाहों की
जिनके कारण वो मौत को अपना कर
तुम्हे जिन्दगी दे गया ||

ओ मांझी….

ले चल तू कश्ती,
नदिया के उस पार,
मुसाफिर करे है मोरा इंतजार,

नैना बिछाए, पलकें भिगाए,
राह तके गोरी, साजन न आये,
मिलन को है बेकरार,
ओ मांझी…..,
पिछले सावन, बीते बरस है,
रिम-झिम बारिश, भीगे बदन है,
ठंडी रातें, गुज़ारूँ अब कैसे,
दुनिया पगली, देखे तमाशे,
जीवन की आजा बहार,
ओ मांझी……,
कोई तराना, कोयल गए,
भंवरे की गुंजन, समझ ना आये,
नींद ना आये, टूटे सपने,
बनी बेगानी, रूठे अपने,
छूटा घर संसार,
ओ मांझी,
ले चल तू कश्ती,
नदिया के उस पार….||

ये कैसा ज़माना है?

डॉक्टर साहब बच्चा बीमार है,
इलाज करवाना है,

क्या तेरे पास पैसे का खजाना है ?
नहीं डॉक्टर साहब अभी कमाना है,
अजीब पागल है,
फिर बच्चे को कैसे बचाना है ?
बस आप ही का सहारा है डॉक्टर साहब,
मुझे अपना बच्चा नहीं गवाना है,

मैंने कसम खाई है,
बिना पैसे वाले को अस्पताल में नहीं बुलाना है, 
पर इसकी माँ का बुरा हाल है,
मुझे उसे और नहीं रुलाना है,
………….इतने में एक नेता वहाँ आया और बोला….

ऐ अंधे,
पढ़ नहीं सकते वहाँ लिखा है,
यहाँ शोर नहीं मचाना है,
नेता जी मैं क्या करूं,
मुझे तो बाप होने का फ़र्ज़ निभाना है, 
…………कुछ देर तक चले इस शब्दों के खेल में ज़िंदगी हार गयी और बच्चे की जान चली गयी | अस्पताल प्रशासन घबरा गया और डॉक्टर बोला….

अरे सिक्यूरिटी इसे बाहर निकालो,
मुझे अस्पताल पर बच्चे की मौत का इलजाम नहीं लगाना है,
………….नेता अपनी राजनीति की रोटियाँ सेकते हुए बाप के कंधे पर हाथ रखकर और थोडा दुखी होने का नाटक करके बोला…
मैं वादा करता हूँ भाई, 
बच्चे की क्रिया-कर्म का खर्च,
मेरी पार्टी नें उठाना है,
पर ये तो बताओ,
बच्चे को जलाना है ?
या फिर दफनाना है????
………….बाप का गला दुःख से भरा हुआ था, अब किन्ही शब्दों के बाहर आने का रास्ता नहीं बचा था…  बाँहों में समेटे हुए अपने बच्चे के मृत शरीर और आँखों से लगातार बहते हुए आंसुओं में, एक दुखी बाप के दिल से निकलते उस सवाल को मैं समझ सकता था…
ये कैसा ज़माना है…
भाई ये कैसा ज़माना है?????

No comments: