आज के हालात का मैं तब्सरा हूँ
ख़ुश-तबस्सुम-लब मगर अन्दर डरा हूँ
बस गए जो वो किसी शर्त छोड़ते ही नहीं
टूटा-फूटा सा पुराना मकान मेरा दिल!
इस राह पे चलना भी ख़ुद हासिले-सफ़र है
मंज़िल क़रीब है पर दुश्वार रहगुज़र है
आए हैं, मुँह फुलाए बैठे हैं
लगता है ख़ार खाए बैठे हैं
उधर लाल-आँखें, चढ़ी हैं भौंहें
हम इधर दिल बिछाए बैठे हैं
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