भरोसे पे ही “जिंदगी” टीकी हैवरना कौन कहता “फ़िर मिलेंगे”..सिर्फ सांसें चलते रहने को ही ज़िंदगी नहीं कहते..आँखों में कुछ ख़्वाब और दिल में…उम्मीदें होना भी ज़रूरी हैं !!एक प्यारी सी लाईन उलटी यासीधी कैसे भी पढ़ो अच्छा लगताहै।” है जिंदगी तो अपने है”“हर रोज गिरकर भी,मुक्कमल खड़े हैं…!ए जिंदगी देख,मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं …!!”…..”:ज़िंदगी में कभी कभी अपनोसे हारना सीखो,देख लेना जीत जाओंगे तुम,,,तूफान भी आना ,…जरुरी है जिंदगी में..तब जा कर पता चलता है …,”कौन” हाथ छुड़ा कर भागता है..और“कौन” हाथ पकड़ कर…जिन्दगी की हर सुबह कुछ शर्ते लेकर आती है,औरजिन्दगी की हर शाम कुछ तजुर्बे देकर जाती है…!!
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