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Friday, March 9, 2018

{Update} Latest Two Lines Urdu Sher, Shayri, Ghazal in Hindi Language


ख़ाक से बढ़कर कोई दौलत नहीं होती छोटी मोटी बात पे हिज़रत नहीं होती,.,
पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे और अब शहर जलें तो हैरत नहीं होती,.,!!

Khak se badh kar koi daulat nahi hoti, chhoti moti bat pe hijrat nahi hoti
Pahle deep jalen to charche hote the aur ab shehar jalen to hairat nahi hoti

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सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.,.,!!

Sach ki halat kisi tawayaf si hai
Talabgar bahut hain tarafdar koi nahi

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इलाज ए इश्क पुछा जो मैने हकीम से
धीरे से सर्द लहजे मे वो बोला
जहर पिया करो सुबह दोपहर शाम,.,!!!

Ilaaj-e-ishq poochha jo maine hakeem se
Dheere se sard lahje me wo bola
Jahar piya karo subah dophar sham

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दुनिया में सब चीज़ मिल जाती है,,,
केवल अपनी ग़लती नहीं मिलती...!!


Duniya me sab cheej mil jati hai
Keval apni galti nahi milti

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जो अंधेरे की तरह डसते रहे ,अब उजाले की कसम खाने लगे
चंद मुर्दे बैठकर श्मशान में ,ज़िंदगी का अर्थ समझाने लगे,..,!!

Jo andhere ki tarah daste rahe, ab ujaale ki kasam khane lage
Chand murde baith kar shamsham me, jindagi ka arth samjhane lage

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हलकी हलकी सी सर्द हवा ,जरा जरा सा दर्द ए दिल
अंदाज अच्छा है ए नवम्बर तेरे आने का,.,!!!

Halki halki si sard hawa , jara jara sa dard-e-dil
Andaaj achha hai ae november tere aane ka

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मोहब्बत हमने सीखी है चराग़ों की शमाओं से
कभी तो रात आएगी कभी तो लौ जलाओगे,.!!

Mohabbat hamne sikhi hai charagon ki shamaon se
Kabhi to rat aaye gi kabhi to lau jalao ge



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पहचान कहाँ हो पाती है, अब इंसानों की,.,
अब तो गाड़ी, कपडे लोगों की, औकात तय करते हैं,.,!!

Pahchan kahan ho paati hai, ab insano ki
Ab to gaadi , kapde logon ki , aukat tay karte hain

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आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले...
जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए.!!

Aakhir tum bhi us aaine ki tarah hi nikle
Jo bhi samne aaya tum usi ke ho gaye

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दिलों में खोट है ज़ुबां से प्यार करते हैं...
बहुत से लोग दुनिया में यही व्यापार करते हैं

Dilon me khot hai juban se pyar karte hain
Bahut se log duniya me yahi vyapar karte hain

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मुझ से पत्थर ये कह कह के बचने लगे ,
तुम ना संभलोगे ठोकरें खा कर ..!!

Mujhse patthar ye kah kah ke bachne lage
Tum na sambhlo ge thokre kha kar

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पडेगा हम सभी को अब खुले मैदान मे आना,.,
घरों मे बात करने से ये मसले हल नही होंगे,.,!!!

Pade ga ham sabhi ko ab khule maidan me aana
Gharo me baat karne se ye masle hal nahi honge

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पालते हैं वे कबूतर पर कतरने के लिए,.,
ताकि बेबस हों उन्हीं के घर उतरने के लिए,.,!!

Palte hai ve kabootar par katrane ke liye
Taki bebas hon unhi ke ghar utarne ke liye

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मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधू समझता
शत्रु मेरा बन गया है छलरहित व्यवहार मेरा,.,.!!

Mai chhupana janta to jag mujhe sadhu samajhta
Shatru mera ban gaya hai chhalrahit vyavhar mera

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सुना था तेरी महफिल में सुकूने-दिल भी मिलता है,.,
मगर हम जब भी तेरी महफिल से आये, बेकरार आये,.,!!!

Suna tha teri mehfil me sukoon-e-dil bhi milta hai
Magar ham jab bhi teri mehfil se aaye bekarar aaye

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गरीबी थी जो सबको एक आंचल में सुला देती थी.,.,
अब अमीरी आ गई सबको अलग मक़ान चाहिए...!!

Gareebi thi jo sabko ek aanchal me sula deti thi
Ab ameeri aa gayi sabko alag makan chahiye

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दर्द के सिवा कभी कुछ न दिया,
गज़ब के हमदर्द हो आप मेरे !!!

Dard ke siwa kabhi kuchh na diya
Ghajab ke hamdard ho aap mere

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ना जाने वो बच्चा किससे खेलता होगा…
वो जो मेले में दिन भर खिलौने बेचता हैं,.,!!

Na jaane wo bachha kisse khelta hoga
Wo jo mere me din bhar khilaune bechta hai

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तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थी,
तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें बदनाम कर गया।

Teri mehfil se uthe to kisi ko khabar tak na thi
Tera mud mud kar dekhna hame badnam kar gaya

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परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में।
ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥

Parindon ki fitrat se aaye the wo mere dil me
Jara pankh nikal aaye to aahiyana chhod diya

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ख्वाब ख्याल, मोहब्बत, हक़ीक़त, गम और तन्हाई,
ज़रा सी उम्र मेरी किस-किस के साथ गुज़र गयी !!!            

Khwab khayal , mohabbat , haqeeqat, gham aur tanhai
Jara si umra meri kis kis ke sath gujar gayi

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