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Thursday, December 27, 2018

A girl Shalini Hindi Story एक लड़की शालिनी, by LuvShyari


मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी है कि इस वर्ष रैविशिंग वूमन के गौरवपूर्ण सम्मान के लिए हमारे सियाटेल नगर की शालिनी यादव को सम्मानित किए जाने का निर्णय लिया गया हैएक छोटे शहर मथुरा से आई सामान्य लड़की शालिनी ने अकेले अपने अदम्य साहसधैर्य और आत्मविश्वास से अनेकों कल्पनातीत विषम परिस्थितियों पर अपने संघर्ष से विजय प्राप्त की है.
दुबई से राजीव के परिवार की पुराने शहर मथुरा में वापिसी से कॉलोनी की युवा पीढी का राजीव हीरो बन गया था. राजीव के आने की सबसे ज़्यादा खुशी शालिनी को हुई थी. बचपन से साथ खेलते दोनों ने एक साथ हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. दोनों की मित्रता के उदाहरण दिए जाते थे. परिवार के साथ राजीव के दुबई जाने से शालिनी को अपने मित्र की कमी खलती थी. पड़ोसी होने के कारण शालिनी और राजीव के परिवारों में भी.में भी घनिष्ठता थी. वर्ष बीत गए थे अब राजीव एक मेधावी युवक बन कर वापिस आया था और शालिनी भी मितभाषी सौम्य युवती बन चुकी थी थी. सादगी और सच्चाई के कारण शालिनी सबको प्रिय थी. वापिस आने पर राजीव सबसे पाहिले शालिनी से मिलने गयाउसे देख शालिनी खिल उठी दोनों का आपसी स्नेह और मैत्री पूर्ववत थी.उनकी बातें खत्म ही नहीं होती थीं .
राजीव महत्वाकांक्षी युवक थाउसने अपने भविष्य के सपने पहले ही निर्धारित कर लिए थेअब वह अमरीका से एम बी ए करने जाने वाला था.राजीव जब भी अमरीका के विषय में शालिनी को बताताशालिनी सोचती काश कभी वह भी सपनों के देश अमरीका जा पाती. शालिनी भी आगरा यूनीवर्सिटी से होम इकोनोमिक्स में मास्टर्स करने के लिए प्रवेश ले चुकी थी. राजीव शालिनी से कहता-
“अगर तुम अमरीका जाना चाहती हो तो अमरीका जाने के पहले तुम्हें अपने को तैयार करना होगा.वहां की लाइफ बहुत फास्ट है. वहां की लडकियां हर क्षेत्र में लड़कों के समकक्ष ही नहीं कहीं कहीं –कहीं उनसे बहुत आगे हैं. अगर तुम अमरीका के विषय में पढो तो तुम्हें उनके मुकाबले अपने आप में और मथुरा शहर में बहुत कमियाँ ज़रूर नज़र आएंगी.”
पर कभी-कभी सपने भी सच हो जाते हैं.अचानक शालिनी के पापा के एक मित्र ने शालिनी के लिए एक रिश्ता बताया. अमरीका से अमर नाम का युवक भारतीय लड़की के साथ विवाह करने भारत आरहा था. आई आई टी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग करने के बाद अमर अमरीका में माइक्रोसॉट जैसी नामी कम्पनी में काम कर रहा है.उसका परिवार हरयाना के एक गाँव में ज़रूर रहता है,पर परिवार के सब बच्चे सुशिक्षित थे. शालिनी के परिवार वाले अमर के परिवार से मिलने उसके गाँव गए. शीघ्र ही अमर और उसके माता-पिता शालिनी से मिलने मथुरा आने वाले थे.
माता-पिता के लिए अपशब्द सुनती शालिनी की आँखों में आंसू आ जाते उसके माता-पिता ने अपनी सामर्थ्य से अधिक सामान दिया था. शालिनी उनकी सबसे बड़ी बेटी थी, उसकी शादी में दिल खोल कर खर्च किया था. अगर उन्हें पैसे ही चाहिए थे तो साफ़ शब्दों में अपनी मांग बता देते. अमर इन बातों के विरोध में कुछ नहीं कहतेसोच कर शालिनी दुखी होती,पर अमर से कुछ नहीं कहा. एक सप्ताह बाद जल्दी आने का वादा कर अमर चला गया. शालिनी भी अपनी पढाई पूरी करने वापिस मथुरा चली गई.
सियाटेल का भव्य एयरपोर्ट देख शालिनी चमत्कृत थी. टैक्सी से बाहर देखती शालिनी को साफ़ चौड़ी सड़कों पर् दौडते अनगिनत तेज़ भागते वाहन विस्मित कर रहे थे. सियाटेल की हरीतिमा और सौन्दर्य ने उसे मुग्ध कर दिया. शायद स्वर्ग इसे ही कहते हैं. टैक्सी अमर के अपार्टमेंट के सामने रुकी थी. अपनी चाभी से दरवाज़ा खोल अम्रर ने शालिनी को अन्दर आने को कहा था. घर के भीतर गई शालिनी ने एक नज़र अपने घर पर डाली थी. एक बैचलर के मुकाबिले घर काफी सुव्यवस्थित था. अमर ने कहा-
अमरीका में दिन बीतने शुरू होगए. शालिनी हर बात को ध्यान से देखती, समझने की कोशिश करती. पास के घरों में रहने वाली स्त्रियों से शालिनी ने मिलना शुरू किया था. उसे खुशी थीउसके घर के पास उसकी  तरह की कुछ लडकियां विवाह के बाद अमरीका आई थीं. नीता और सविता से शालिनी की अच्छी पटने लगी थी. हांलाकि अंग्रेज़ी उसकी कमजोरी थी,पर पास में रहने वाली अकेली वृद्धा मारिया उससे स्नेह से मिलतीउसने शालिनी को हिम्मत दी कि वह उनके साथ नि:संकोच अंग्रेज़ी में बात कर सकती है,. मारिया ने शालिनी को यह भी समझाया-
शालिनी को राजीव की बात याद हो आईउसने कहा थाअमरीका में लडकियां कार ही नहीं बड़ी-बड़ी-वड़ी बसें चलाती हैं. शालिनी के बार-बार के अनुरोध पर अंतत: अमर  ने ड्राइविंग स्कूल में शालिनी का नाम रजिस्टर करा दिया.शालिनी पूरे मन से ड्राइविंग सीखने लगी. जिस दिन उसे ड्राइविंग लाइसेंस मिला उसकी खुशी का अंत नहीं था. उसने एक विजय पा ली थी. इस बीच उसने ग्राफिक्स डिज़ाइनिंग और इंग्लिश की क्लासेज़ भी पूरी कर लीं. अब शालिनी कोई काम तलाशने की बात सोच रही थी कि शालिनी को आभास हुआ कि वह माँ बनने वाली है.
इत्तेफाक से शालिनी ने फोन के दूसरे कनेक्शन पर ये बातें सुन लीं. उसे आश्चर्य था कि अमर ने एक भी बात का प्रतिवाद नहीं किया इससे शालिनी स्तब्ध रह गई. अमर यह भी क्यों नहीं कह सका माँ अपने पैसे खर्च कर के यहाँ आई थीअपनी बेटी और नातिन की सेवा करने आई हैमौज उड़ाने नहीं. वह तो घर से बाहर भी नहीं निकली थी. उस रात अमर बेहद उखड़े मूड में बाहर से खाना खाकर लौटा. कुछ स्वस्थ होते ही माँ को और अपमानित ना होने देने के कारण शालिनी ने माँ को वापिस भेज दिया. अमर से कोई शिकायत न कर अमर के साथ सामान्य जीवन व्यतीत करती रही.
दो वर्ष बाद शालिनी फिर माँ बनने वाली थी. इस बार अमर ने अपने माँ-बाप को बुला लिया.डॉक्टर ने कहा इस बार केस बहुत कॉम्प्लिकेटेड था. शालिनी को कम्प्लीट बेड- रेस्ट बताया गया था.सास का मानना था शालिनी ने डॉक्टर को भरमा कर आराम करने का बहाना बनाया था. शालिनी बहाना करके सास से सेवा करवाना चाहती है.सास ने जोर देना शुरू किया-
उनके जाने के कुछ दिनों बाद मथुरा से शालिनी के पापा ने शुभ सूचना दी कि शालिनी के भाई की शादी की तिथि निश्चित हो गई हैदामाद जी को विशेष आदर से निमंत्रित किया गया था. शालिनी की खुशी का ठिकाना नहीं था.इतने दिनों बाद अपने पति और अपनी बेटियों के साथ अपने घर जारही थी. घर में परिवार जनों ने बहुत प्यार और उत्साह से शालिनीअमर और उनकी बेटियों का स्वागत किया.
शालिनी दिन गिनने लगीरोज़ प्रार्थना करती अमर को जल्दी कोई जॉब मिल जाए. दिन बीतते रहेतीन महीने तक अमर से शालिनी को  कोई जॉब मिलने का समाचार ना मिलने से शालिनी के पापा को संदेह हुआ. उनके कहने पर शालिनी ने अपनी सहेली नीता से अमर के समाचार पूछेनीता ने जो बताया वो शालिनी को स्तब्ध करने को काफी था. अमर की नौकरी नहीं गई थीवह माइक्रोसॉफ़्ट में पूर्ववत कार्यरत था. उसके माता-पिता उसके साथ रह रहे हैं. वे सब लोग मजे से हैं.
अब शालिनी के सामने बहुत बड़ी समस्या मुंह बाए खडी थी. पर उसने दृढ निश्चय कर लियावह किसी भी हालत में हार नहीं मानेगी. मथुरा से दिल्ली में स्थित अमरीकन एम्बैसी के चक्कर लगाती शालिनी अमर के धोखे का सामना करने को दृढ प्रतिज्ञ थी. एम्बैसी के अधिकारी उसका सत्य मानने को तैयार नहीं थेउनका कहना था ऎसी घटनाए आए दिन घटती है,शादी कर के बहुत से लोग पत्नी को यहाँ छोड़ कर अमरीका वापिस चले जाते हैं. तुम पर कैसे यकीन किया जाए कि तुम ग्रीन कार्ड होल्डर हो.
दोनों बेटियों का जन्म अमरीका में हुआ था वे अमेरिकन नागरिक थीं. अत:अमरीका से उनके जन्म के कागजात मिल जाने से उनके पासपोर्ट बन गए. सौभाग्यवश शालिनी के पास उसका ड्राइविंग लाइसेंस था उसमें उसका पूरा पता था. शालिनी द्वारा उसका  सोशल सिक्यूरिटी नंबर बताने से अमरीका से जानकारी मंगाई गई. जानकारी मिलने पर शालिनी को अमरीकन एम्बैसी से एक बंद पैकेट दिया गया . पैकेट को ना खोलने के निर्देश के साथ वो पैकेट उसे अमरीका के इमीग्रेशन डिपार्टमेंट को देना था. शालिनी ने अमर और नीता को फोन से सूचित किया कि वह अमरीका पहुँच  रही है.
भारतीय एयरपोर्ट पर दो नन्हीं बेटियों के साथ बोर्डिंग के लिए प्रतीक्षा कर रही शालिनी को पुलिस ने बोर्डिंग करने से रोक कर कहा कि अमरीका में रह रहे उसके श्वसुर ने रिपोर्ट की है कि शालिनी झूठे दस्तावेजों पर अमरीका जा रही है. शालिनी ने अपना बंद पैकेट दिखाया. अमरीकी एम्बैसी के पेपर्स देख कर उसे जाने की इजाज़त दी गईयही कहानी लन्दन एयरपोर्ट पर दोहराई गई .इतनी समस्याओं का सामना करने के बाद जब शालिनी अपनी दो नन्हीं बेटियों के साथ सियाटेल पहुंची तो अमर उसे लेने नहीं आया था. नीता के पति ने उन्हें घर पहुंचाया. दरवाज़ा अमर ने खोला.शालिनी ने कोई बात नहीं की. कुछ देर बाद अमर ने नाराजगी से कहा-
.शालिनी की बात अमर की समझ में आगई. अमरीका के क़ानून से वह परिचित था.मित्रो ने भी अमर को शालिनी के साथ समस्या सुलझाने और समझौता करने की सलाह दी.अमर ने समस्या सुलझाने के लिए तीन महीने का समय माँगा. बड़ी बेटी नेहा को स्कूल में एडमीशन दिला दिया गया. अमर उसे स्कूल पहुंचाने और वापिस लाने जाता था. शालिनी अब कुछ निश्चिंत हो चली थी ,शायद अमर सच में उसके साथ समझौता करना चाहता था.
अमर को कार्य बताने के बावजूद उसने चाभी देने से साफ़ इनकार कर दिया. कोई उपाय न देखशालिनी ने सामने रखी चाभी उठा ली.क्रोधावेश में अमर ने शालिनी को पीटना शुरू कर दिया. अपनी दोनों बेटियों को ले कर बदहवास शालिनी मारिया आंटी के पास पहुंचीउनके घर से शालिनी ने फोन से नाइन वन वन को कॉल कर दिया. मिनटों में पुलिस पहुंच गईपुलिस घरेलू हिंसा के अपराध में अमर को जेल ले जाना चाहती थीपर अमर ने रो-रो कर माफी मांग कर कहा 
मुकदमा शुरू होने पर जांच के आधार पर अमर का धोखा सामने आ गयाशालिनी की जानकारी के बिना उसने लाखों के स्टॉक्स बेच दिए थे. बैंक से पूरा पैसा निकाल कर अपने माता-पिता के नाम अकाउंट खुलवा कर पैसे स्विट्ज़रलैंड के बैंक में ट्रांसफर करवा दिए थे.पूछे जाने पर अमर ने शालिनी पर इलज़ाम लगाया कि वह उन पैसों से बिजनेस करना चाहती थी,पर जांच करने पर सच्चाई सामने आगई.उसका इलज़ाम बिलकुल गलत था.
 जज ने शालिनी क श्वसुर से कहा या तो वह पैसे वापिस करें अन्यथा उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा. उन्होंने अपनी सफाई में कहाउन पैसों से इंडिया में ज़मीने खरीदी हैं. उसके लिए उन्होंने फर्जी कागज़ात भी बनवा लिए. श्वसुर ने शालिनी पागल करार करने की कोशिश कीकहा उसके लिए वह उसका प्रमाणपत्र भी दे सकते हैं. शालिनी के पक्ष में उसके पड़ोसियों,मित्रो और भारत से आए एक वकील ने गवाही दे कर शालिनी के पक्ष की सत्यता स्पष्ट कर दी.श्वसुर के सारे इलज़ाम झूठे सिद्ध होगए.
दोनों पक्षों की बातों के आधार पर जज ने शालिनी के पक्ष में अपना निर्णय सुना दिया. यह सिद्ध हो गया था कि अमर ने अपनी पत्नी शालिनी को धोखा दिया है. शालिनी केस जीत गई.अमर को निर्देश दिए गए कि अमर अपनी रिटायरमेंट के पैसों से शालिनी को पैसे देगाशालिनी के वकील की फीस का भुगतान करेगा,चाइल्ड- सपोर्ट और पांच वर्षों की अलमनी देगा. आने लाभ के लिए अमर ने बेटियों की पूरी कस्टडी मांगीपर उसे नियमानुसार ज्वाइंट कस्टडी ही दी गई.
चाइल्ड केयर का कार्य शुरू करने करने से शालिनी को सच्चा सुख मिलने लगा.पेरेंट्स द्वारा उसके कार्य की प्रशंसा से बच्चों की संख्या बढ़ती गई. शालिनी अब पूर्णत: आत्मनिर्भर स्वाभिमानी स्त्री थी. उसके घर के सामने की बगिया उसके पुराने शौक की परिचायक थी. उसके गुलाबों की सुन्दरता देखने लोग आते थे. अपनी कार से बेटियों को स्कूल छोड़ने जाती शालिनी अपनी सहेलियों के प्रति आभारी थीजिन्होंने उसे अमरीकी जीवन की आवश्यकताओं से परिचित कराया था.
दिन महीने वर्ष बन कर बीतते गए. नन्हीं नेहा कॉलेज पहुँच गई. अब वह अमरीका की प्रसिद्ध यूनीवर्सिटी में कम्प्यूटर सांइंस के तृतीय वर्ष में थीछोटी बेटी कोमल ने भी इस वर्ष नामी यूनीवर्सिटी में प्रवेश लिया था. शालिनी जब अपने अतीत की समस्याओं के विषय में सोचती है तो स्वयं विस्मित होती है . कैसे वह उन समस्याओं के आगे अपराजित खडी रही.
पिछले कुछ दिनों से उसकी माँ और फ्रेंड्स उसे राय देने लगे हैंअब शालिनी को अपने विषय में कुछ सोचना चाहिए.कुछ समय बाद उसकी बेटियों का अपना जीवन होगावह कहाँ तक शालिनी का साथ दे सकेंगी.अमरीका में माँ-बाप को अलग होते और दूसरा विवाह करते देखते हुए ही बच्चे बड़े होते हैं. कुछ नहीं तो उसे कोई सच्चा और ईमानदार पुरुष-मित्र ही बना लेना चाहिए.
दरवाज़ा खोलते सामने खड़े राजीव को देख शालिनी बिना कुछ सोचे उसकी फैली बाहों में समा गई.बीस वर्षों का अवसाद क्षण भर में तिरोहित हो गया.
क्या
उक

अब राजीव की नज़रों में शालिनी का दूसरा ही रूप था.राकेश ने ठीक कहा था,सुन्दरता मन की होती है
दोनों ने यूनीवर्सिटी में एडमीशन ले लिया था.अक्सर मथुरा से आगरा दोनों एक साथ ही जाया करते.अब दोनों के संबंध सहज हो चुके थे. तरह-तरह के विषयों पर दोनों बात करते.एक-दूसरे का साथ अच्छा लगता. अक्सर शालिनी को लगता राजीव की मुग्ध दृष्टि उस पर निबद्ध रहती है,पर उसे उसने अपना भ्रम ही माना .राजीव की मेधा की तुलना में वह अपने को कम पाती थी.
अचानक शालिनी के पापा के एक मित्र ने अमरीका से भारतीय लड़की के साथ विवाह करने के लिए आरहे लड़के अनिल के विषय में सूचना दी थी. अनिल मद्रास आईआईटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग करके अमरीका की कम्पनी में काम कर रहा था. वैसे तो उसका परिवार हरयाना के गांव का रहने वाला हैपर उनके परिवार के लड़के और लडकियां उच्च शिक्षा प्राप्त हैं.शालिनी के विवाह के लिए उसके पापा लड़के और उसके परिवार से बात कर सकते हैं. वर रूप में अनिल हर प्रकार से योग्य था.घर में खुशी का माहौल छा गया.शीघ्र ही शालिनी के माता-पिता अनिल के माँ-बाप से मिलने उनके गाँव भाड़ावास पहुंचे. सब बातें होने के बाद अनिल और उसका परिवार शालिनी से मिलने आ पहुंचा.
अनिल के विषय में सुन कर राजीव के चेहरे पर छाई उदासी शालिनी नहीं देख सकी.उसकी आँखों में अमरीका के सपने जगमगा रहे थे.
तू अमरीका के सपने देख रही हैपर तुझ जैसी सीधी-सादी भोली लड़की क्या अमरीकी ज़िंदगी से एडजस्ट कर पाएगी?वहां की फैशनेबल गोरी लड़कियों की रहने की स्टाइल की तो छोड़तुझे तो ढंग के कपड़ों की भी समझ नहीं है. ये कस के बांधी एक चोटीसादे सलवार सूट वहां नहीं चलेंगे.
क्या हम इतने खराब दीखते हैंराजीव?”भोलेपन से शालिनी ने पूछा.
मेरी नजरों में तो तू दुनिया की सबसे अच्छी,सबसे सुन्दर लड़की है,पर डरता हूँकहीं अनिल ने वहां किसी और के साथ रिश्ता ना बना लिया हो.ऎसी बहुत सी कहानियां सुनी हैं.राजीव ने अपनी बात कही.

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