Breaking

Thursday, December 27, 2018

अभिमानी-निराभिमानी Hindi Top Stories by LuvShyari


शेखर भैया के सुझाव पर आज सुमन लाइब्रेरी के लिए अकेली ही निकल पड़ी थी. अब वह एम् .ए प्रीवियस में एडमीशन ले चुकी हैइतनी हिम्मत तो उसमे होनी ही चाहिए. रास्ता तो भैया ने समझा ही दिया था. अचानक राह में बने एक बंगले की गार्डेन देख सुमन ठिठक गई. ऐसा लगता था गार्डेन में दुनिया भर के फूलों का मेला सजा हुआ था. हवा में झूमते फूल खुशी से इतराते से लग रहे थे. बचपन से ही सुमन को फूलों से बहुत प्यार था. अपने छोटे से घर के गमलों में कुछ फूलों के पौधे लगा कर ही वह खुश रहती. फूलों पर दृष्टि गडाए सुमन की नज़र घर से बाहर आरहे एक युवक पर पड़ी थी.
अपनी बात समाप्त करती सुमन तेज़ी से मुड कर वापस घर के लिए चल दी. अमन के साथ बातें कर के उसका मूड ही खराब हो गया था. लाइब्रेरी जाने का उत्साह ही नही रहा. सुमन सोचती रही ये अमीर अपने को क्या समझते हैं. अमन की बातों में कितना अभिमान था. क्या पैसे ही किसी इन्सान् की  पहिचान होती है. अपनी इंजीनियरिंग की बात कितनी शान से बता रहा था. ज़रूर डोनेशन दे कर इसका एडमीशन किसी ऐसे वैसे कॉलेज में कराया गया होगा वरना वो अभिमानी आई आई टी का नाम ज़रूर लेता. एक शेखर भैया हैं अपनी मेधा के बल पर देश के सबसे अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे हैं,पर कभी इस बात के लिए लिए घमंड नहीं किया.
पिता की मृत्यु के बाद जब रिश्तेदारों ने किनारा कर लिया तब अपनी माँ के साथ दस वर्ष की सुमन इस मोहल्ले में आई थी. इस मोहल्ले में आए हुए सुमन को नौ वर्ष बीत चुके थे. पास पड़ोस के परिवारों से उसे और उसकी माँ को बहुत अपनापन मिला था. माँ ने एक स्कूल में नौकरी कर ली थी पड़ोसियों की उन दोनों के प्रति बहुत सहानुभूति रहती. सच तो यह हैये पड़ोसी उसके रिश्तेदारों से कहीं ज्यादा अपने सिद्ध हुए जो उनकी हर मुश्किल में साथ खड़े रहे. राखी के दिन उदास खडी सुमन पास के घरों में उत्साह् से मनाते त्यौहार को देख रही थी तभी साथ वाले घर से शेखर ने उसे देखा था.
उस दिन के बाद से शेखर ने सुमन को अपनी सगी बहिन जैसा ही स्नेह दिया था. शेखर के पिता एक ऑफिस में बड़े बाबू थे,पर बेटे के लिए उन्होंने ऊंचे सपने देखे थे. मेधावी शेखर ने उनके सपनों को पंख लगा दिए. जब शेखर कानपुर के आई आई टी के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमीशन मिला तो सुमन ने खुशी में सबको मिठाई खिलाई थी. दोनों परिवार भी अब बहुत निकट आ गए थे. बी ए के एक्जाम में सुमन को सभी विषयों में डिस्टींक्शन मिला थाशेखर की खुशी का ठिकाना न था.
दूसरे दिन सुमन की पुरानी टीचर मीरा दीदी का फोन आया था अनाथ बच्चों और असहाय स्त्रियों की सहायता के लिए गांधी पार्क में एक मेले का आयोजन किया जा रहा था. सुमन ऐसे कामों में सबसे आगे रहती थी इसी लिए उसकी टीचर चाहती थीं कि सुमन भी मेले में एक स्टॉळ लगा कर मदद करे. सुमन सोच में पड़ गईमेले में खाने और मनोरंजन के तो बहुत से स्टॉळ होंगे क्यों न सुमन हिन्दी के महान लेखकों की पुस्तकें और पत्रिकाओं का स्टॉळ लगाए. पड़ोस में रहने वाले किशोर अंकल की किताबों की दूकान से अच्छी पुस्तकें और पत्रिकाएँ इस काम के लिए नि:शुल्क मिल जाएंगी, किताबें बिकने पर अंकल को भी कुछ फ़ायदा होगा. स्टॉळ पर “भारतीय साहित्य भण्डार” का बैनर लगाने से अंकल की दूकान का भी प्रचार होगा. इस काम में उसकी सहायता के लिए उसकी सहेली नीरा खुशी से तैयार हो गई. सुमन ने जैसा सोचा थावही हुआ. किशोर अंकल ने खुशी-खुशी अच्छी-अच्छी पुस्तकें और पत्रिकाएँ सहर्ष दे दीं. सुमन उत्साहित हो गई. इस उत्साह में अमन के साथ हुई बातों की कडवाहट भी भूल गई.
उस शहर के लिए ऐसा मेला सबके आकर्षण का केंद्र हुआ करता था. कुछ देर की मौज-मस्ती के साथ अनाथ बच्चों और दुखी स्त्रियों के लिए सहायता भी हो जाती थी. सुमन और नीरा अपने स्टॉळ को सजाने में जुट गईं. बड़े-बड़े पोस्टरों पर आकर्षक रंगों से हिन्दी साहित्यकारों के चित्र और स्लोगन लगाने से उनका स्टॉळ बहुत प्रभावी बन गया था. एक शंका ज़रूर थीक्या ऐसे मेले में लोग पुस्तकें या पत्रिकाएँ खरीदेंगेकिशोर अंकल ने मूल्य में पच्चीस प्रतिशत की छूट भी देने को कह दिया था.
अंतत: अमन की टीम विजयी रही. जीत का कप लेते अमन के साथियों ने उसे कंधे पर उठा लिया. अमन का हेहरा खुशी से खिला दिख रहा था. सुमन जल्दी वापिस लौटना चाहती थीपर नीरा समीर को बधाई देना चाहती थी. थोड़ी देर बाद भीड़ छंटने पर समीर के साथ अमन भी बाहर आ रहा था. नीरा ने आगे बढ़ कर उन्हे बधाई दी. थैंक्स देते अमन की निगाह नीरा के साथ खडी सुमन पर पड़ी थी.
“एक बिल्डर की मेरी दृष्टि में कोई विशेष इज्ज़त क्यों होगीअपने सपनों को सपने ही रहने दोअमन. अमीरों से भारी रकम ले कर ऊंची-ऊंची इमारतें बनाने वाले हज़ारों बिल्डर्स होते हैं. काश कोई ग़रीबों के लिए घर बनवाता उसके लिए मेरे दिल में सच्ची इज्ज़त होतीनीरा अभी मुझे घर जाना हैतू रुक सकती है..”अपनी बात कहती सुमन तेज़ी से चल दी. उसके पीछे नीरा भी थी.
घर पहुंची सुमन का आक्रोश थम नही रहा था. माँ हमेशा कहती हैं घमंडी का सिर नीचा होता है. एक दिन इस अमन का भी अभिमान ज़रूर टूटेगा. सिर्फ पैसे से ही तो कोई इंसान बड़ा नहीं बन जाता. आज शेखर भैया होते तो उनसे बात कर के कुछ शान्ति मिलतीपर वह तो छुट्टियों में किसी कम्पनी में इंटर्नशिप करने के लिए बाहर गए हुए हैं. नीरा तो अमन को बस इतना ही जानती है कि वह उसके समीर भैया का अच्छा दोस्त है. पता नही अमन को सुमन से क्या दुश्मनी हैउसे हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करता है.
“एक बुरी खबर हैकल शाम अमन ने एक लड़की को कुछ गुंडों से बचाया था. अमन रोज़ सवेरे जॉगिंग के लिए जाता है. वे गुंडे अमन से बदला लेने की ताक में थे. अमन को अकेला पा कर उन गुंडों ने अमन को बुरी तरह से पीटा और उसे बेहोश छोड़ कर भाग गए. सवेरे जब लोगों ने देखा तो उसे हॉस्पिटळ पहुंचाया गया. समीर भैया अमन के पास हैं. उसके मम्मी पापा तो लन्दन में हैं.”
“तेरे हर काम में हम तेरा साथ देते हैंआज तुझे चलना ही होगा. मेले में किताबों के पैसे और क्रिकेट मैच के पास अमन ने ही दिए थेहमें तो उसका अहसान मानना चाहिए. अगर आज तूने साथ नहीं दिया तो आगे से हमसे कोई उम्मीद मत रखना.”नीरा ने चेतावनी दे डाली.
अन्तत: सुमन को नीरा के साथ जाना ही पडा. हॉस्पिटळ की बेड पर पैरों और हाथों पर प्लास्टर के साथ ळेटा अमन बेहद उदास नन्हे शिशु सा मासूम दिख रहा था. नीरा और सुमन को देख उसके चहरे पर शायद विस्मय था. समीर उसके पास से उठ कर खडा हो गया.
“कितनी बार वही बात दोहरानी होगीबताया तो थामै शाम को ईवनिंग- वाक के लिए निकला थारास्ता सूनसान था. तभी एक लड़की भागती हुई आई और मदद के लिए चिल्लाई. उसके पीछे दो गुंडे थे. मैने उन्हें रोकने की कोशिश कीपर उन्होंने मुझे छूरे से मारने की धमकी दी. लकीली मेरे पास मेरा रिवॉल्वर थाजैसे ही अपनी रिवॉल्वर पॉकेट से निकाली दोनों डर के भाग खड़े हुए.”
घर वापिस पहुंची सुमन बहुत अपसेट थी क्या यह सच हो सकता है कि उसकी बात की वजह से आज अमन इस हाल में है?उसने ही तो कहा था एक दिन अमन का अभिमान ज़रूर टूटेगाघमंडी का सर नीचा होता है. एक और बात भी तो कही थी अमन के सपने-सपने ही रहेंगे. उसके सपने सच नहीं होंगेअमन को उसकी वो बात याद भी है. आज अमन के साहस की बातें सुन कर वह सोचने को विवश थीजो इंसान एक अनजान लड़की की मदद के लिए अपनी जान पर खेल सकता हैवह क्या वही अमन हैजिससे वह चिढती रही है. आज उसके सामने अमन का एक दूसरा ही रूप था. अपनी गलती का उसे प्रायश्चित करना ही होगा,पर कैसेअपने को दोषी ठहराती सुमन देर रात तक जागती रही. सुबह तक सुमन निर्णय ले चुकी थी. अगर अमन को लगता है कि उसके कहने से ही अमन की ये हालत है तो सुमन को ही उसका ये भ्रम हा दूर करना होगा. वह पूरी तरह से निराश हो चुका हैसुमन उसमे आशा का संचार करेगी. उसकी निराशा को दूर करेगी. अभी उसके क्लासेस शुरू होने में देर हैंइन दिनों वह अमन के पास हॉस्पिटल जा कर उसके साथ समय बिता कर उसे खुशी देने का प्रयास करेगी.
सवेरे माँ को सारी बात बता कर उसका मन हल्का हो गया. माँ ने भी कहा अगर संभव होवह नीरा के साथ ज़रूर जाए. अमन अभी अकेला है उनके जाने से उसे खुशी मिलेगी. माँ ने भी स्वयं कभी उसे देख आने की बात कह कर सुमन का भय दूर कर दिया. वह जानती थी माँ को उस पर कितना ज़्यादा विश्वास है. सवेरे जल्दी उठ कर सुमन ने नीरा को फोन किया तो उसने दुखी स्वर में बताया
तीन-चार दिनों में ही सुमन के साथ अमन सहजता से बातें करने लगा. बातों –बातों में सुमन ने बताया उसके पापा के न रहने पर भी उसकी माँ ने साहस नहीं खोयामाँ ने उसे अपने पापा की कमी कभी महसूस नहीं होने दी. आज दोनों माँ बेटी कम,दोस्त ज़्यादा हैं. बातें सुनते अमन के चेहरे पर उदासी के भाव आ गए. अमन ने मायूसी के साथ बताया उसके मॉम और डैड के होते हुए भी वह अकेला महसूस करता रहा है. उन दोनो के पास बेटे के लिए वक्त कम रहाडैड की बिजनेस और मॉम की सोशल सर्विस के बीच बेटा अकेला छूट जाता था. इसी लिए अमन एक लड़की के धोखे के प्यार का शिकार बन गया था. अमन पूरी बात न कह कर चुप हो गया.
“तुम हमें समझ ही नही सकेअमनहम सच्चे दिल से चाहते हैं तुमने जो सपने देखे हैं वो ज़रूर पूरे हों. तुम बुक्स पढ़ कर काफी आइडियाज़ ले सकते हो. हम तुम्हारे लिए लाइब्रेरी से किताबें ला सकते हैं.”
“थैंक्ससुमनसच कहती हो, मुझे इस वक्त को बेकार नहीं करना चाहिए. मेरे घर में बिल्डिंग डिज़ाइमिंग पर बहुत सी अमेरिका की किताबें हैंपर तुम कैसे ला पाओगी?”
दूसरे दिन से सुमन भी अपने साथ कुछ किताबें ला कर पढती रहती. बीच-बीच में दोनों बातें करतेपुराने मजेदार किस्से एक-दूसरे को सुना कर हंसते. सुमन अपने साथ जो भी खाने को लाती उसमे अमन का हिस्सा ज़रुर होता. अमन कहता सुमन की माँ के हाथ का बना खाना इतना टेस्टी क्यों होता हैइसमें माँ का प्यार जो है ,सुमन कहती. सुमन की माँ भी आ कर उसे आशीर्वाद दे गई थींअब अमन अपने विश्वास को फिर जीने लगा था. सुमन जैसे अमन की ज़रुरत बन गई थी.
“मै कौन हूँतो सुन और समझ लेमै अमन की मॉम हूँ. तेरे बारे में सब सुन चुकी हूँ. तुझ जैसी लड़कियों को अच्छी तरह से जानती हूँ. अमीर लड़कों को फंसा कर पैसे लूटना और फिर धोखा दे कर किसी और को शिकार बनाना. यही तेरी पहिचान है. एक बार मेरा बेटा धोखा खा चुका हैअब दूसरी बार उसे धोखा नहीं खाने दूंगी.”क्रोध से अमन की मॉम का का चेहरा तमतमा रहा था.
क्रोध और अपमान से सुमन का अंतर जल रहा था. गलती उसी की थी आखिर उसे क्या पड़ी थी जो अमन के पास जा कर अपना समय नष्ट किया. अमन भी तो उसी माँ का बेटा है जिस स्त्री ने उस पर कितने अपमानजनक लांछन लगाए. शायद आज की दुनिया में अच्छाई करना ही गलत है. बस बहुत हो गया सुमनअब उस अमन से उसे कोई नाता नही रखना है. न जाने क्यों सुमन का मन खूब रोने का कर रहा था. माँ से ये बात बतानी ठीक नही हैवह दुखी हो जाएगी. शेखर भैया या नीरा के आने पर उनसे बात कर के शायद उसका दिल हल्का को सकेगा. इतने अपमान के बावजूद भी वह अमन की चिंता से मुक्त नही हो पा रही थी. सुमन के साथ बातें करता अमन अपनी तकलीफ भूल जाता था. सुमन भी मजेदार किस्से सुना कर उसे अपने दर्द का एहसास नहीं होने देती थी. दोनों का साथ पूर्णता देता था. ना चाहते हुए भी सुमन की सोच का केंद्र- बिंदु अमन था. उसका अकेलापन उसे छू गया था.
“एक दिन मुझे भी अपने पैसों पर अभिमान थापर सुमन के साथ जानासच्ची खुशी पैसों से नहींनि:स्वार्थ प्यार और मन की शान्ति से मिलती है. हमारे पास पैसों की कमी नही हैमॉमपर मुझे तुमसे या डैडी से कभी प्यार नही मिल सका. तुम दोनों के होते हुए भी मै कितना अकेला छूट गयामॉमअपने अकेलेपन को भुलाने के लिए अमीरी का खोखला चोंगा पहिन अपने को धोखा देता रहा.”
अमन की बात से उसकी माँ स्तब्ध हो गईये कैसा कडवा सच अमन कह गया. बचपन से आया और नौकरों के सहारे उसे छोड़वह पति और अपने कामों में व्यस्त रहीं. पांच-छह साल का नन्हा अमन माँ को बाहर जाता देख माँ का आँचल पकड़ उन्हे रोकने की कोशिश करता थापर वह कब रुकींबेटे के हाथ में चॉकलेट का डिब्बा थमाचली जाती थीं. अमन के आंसू माँ को कब रोक सके. बाद में उसने अकेलेपन को अपनी नियति स्वीकार कर लिया था. अगर सुमन के साथ ने अमन के खाली मन को पूर्ण किया है तो वह सुमन से उसे अलग नहीं कर सकतीं. इतना तो समझ में आ ही गया है कि जिस लड़की ने अमन को इतना बदल दिया है वो साधारण लड़की नही है. उन्हें सुमन से माफी मांगनी ही होगी.
घर लौटी सुमन सोच में पड़ गईअमन की बातों का अर्थ स्पष्ट थाक्या वह उसे चाहने लगा हैस्वयं सुमन भी तो उसकी ओर खिचती जा रही है. अमन की माँ ने कहा सुमन की वजह से अमन बदल गया है. सुमन ने भी तो साफ़ महसूस किया है कि अमन उसके साथ कितना खुश रहता है. अपनी निजी बातें भी उसने सुमन के साथ शेयर की हैंक्योंक्या दो सप्ताह में यह संभव हो सकता हैनहीं उसे अपने को रोकना होगासमीर एक-दो सप्ताह बाद आ जाएगाउसके बाद सुमन को अमन के पास जाने की ज़रुरत नहीं रह जाएगीपर क्या अपने को अमन से दूर रख पाना उसे संभव हो पाएगा?
“एक लड़की हैजिसने एक अभिमानी अमन को निराभिमानी बना दिया और असली खुशी का मतलब समझा दिया. अब सिर्फ मै ही नहीं मॉम और डैड भी खुशी का सच्चा अर्थ समझ रहे हैं. तुम्हारी वजह से मुझे उनका प्यार मिल सका हैसुमन. अब तो समझ गईं वो लड़की कौन है. याद हैतुमने कहा थाग़रीबों के लिए घर बनाए वाले को तुम इज्ज़त दोगीउसी प्यार के इंतज़ार में हूँ.”अमन के चेहरे पर शरारती मुस्कान थी.

No comments: