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Sunday, December 16, 2018

नहीं, वो खेल नहीं था ,No That is not Game Hindi Story On LuvShyari 2019-20


फाइनल एक्जाम्स खत्म होने के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी पार्टी के लिए हॉल में जमा थे .पूरा हॉल विद्युत् लड़ियों से सजाया गया था. म्यूजिक के साथ ड्रिंक्स और तरह-तरह के व्यंजन माहौल को खुशनुमा बना रहे थे. अब इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद सबके अलग-अलग इरादे थेकुछ आगे मास्टर्स करने की सोच रहे थे तो कुछ कहीं नौकरी खोजने वाले थे.
रंगीन कपड़ों में सज्जित लडकियां लड़कों के आकर्षण का ख़ास कारण थीं. उन सबमें नेहा सबसे अलग चमक रही थी. सुन्दरता के साथ उसकी अदाएं भी बेहद मोहक होतीं. उसकी हर बात पर लड़के मुग्ध रह जाते. सच तो यह है जिस दिन उसने मुम्बई से आकर उनके साथ चतुर्थ वर्ष में प्रवेश लिया था तो लड़कों की जैसे दुनिया ही सुनहरी हो उठी थी. उसे ले कर सब सपने देखते. एक बस राम ही था जो उनकी बातों से निर्लिप्त अपने में सिमटा रहता. उसका ना कोई दोस्त था ना कोई दुश्मनहाँ हर परीक्षा में प्रथम स्थान उसके नाम ही होता.
“माइंड योर लैंग्वेज यारये बात तू इस लिए कह रहा है क्योंकि नेहा ने तुझे लिफ्ट नही दी. वैसे मुझे भी पता हैपिछले महीने सेमिनार में उसने राम से अपना पेपर लिखवा कर सबकी तारीफ़ पाई थी. अब नेहा-राम पुराण यहीं छोड़ कर मै तो चला, वरना कविता को कोई और अपना पार्टनर बना लेगा.”.अपनी बात कहता शैलेश सामने खडी कविता के साथ डांस करने के लिए चला गया.
“वैसे मोहनीश तेरी बात में कुछ सच्चाई तो ज़रूर है. मुझे याद हैजब ये नेहा अपनी पुरानी सहेली शशि के साथ पहले दिन कॉलेज आई थी तो जैसे कॉलेज में हलचल मच गई थी. सब उससे बात करने-मिलने को दीवाने थेपर राम ने उस पर नज़र भी नहीं डाली थीपर अब नेहा अपनी प्रोजेक्ट वगैरह में उसी राम की खूब मदद लेती है.”नरेश भी मोहनीश से सहमत था.
 “असल में नेहा के पापा ब्यूरोक्रेट हैंउनकी ऊंची पहुँच के कारण ही नेहा को इंजीनियरिंग के फोर्थ इयर में एडमीशन मिला था. इसी बात का उसे घमंड है. अपने काम निकलवाने के लिए वह राम के साथ दोस्ती का व्यवहार करती होगी. वैसे हमारा राम है ही ऐसाबिना किसी अपेक्षा के सबकी मदद करता है. अब चल यारहम भी आज की रात का आनंद लें.”मोहनीश ने बातों का रुख मोड़ दिया.

म्यूजिक बंद हो चुका थासारे लड़के और लडकियां उस दुखद घटना-स्थल की ओर चल दिए. कुछ देर पहले की जगमगाती रात अब बेहद अंधेरी और भयानक लग रही थी. कॉलेज की बिल्डिंग के नीचे राम का रक्त-रंजित शरीर निर्जीव पडा था. जीवन का कोई भी अंश शेष नहीं दिख रहा था  प्रिंसिपल के साथ आए कॉलेज के डॉक्टर ने निराशा जनक संकेत दे कर स्थिति स्पष्ट कर दी थी. प्रोफ़ेसर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थे.
“अभी तू होश में नहीं हैतूने ऐसा कुछ नहीं कियानेहा. भला अपने साथी की कही गई कोई बात किसी को सुसाइड करने को विवश कर सकती हैसाथियों के बीच नोक-झोंक तो चलती ही रहती है. राम के साथ कुछ और बात रही होगी,जिसकी वजह से वह सुसाइड करने को विवश था. कुछ देर सो लेहम बाद में बातें करेंगे. चल मै तेरा माथा सहलाती हूँ,नींद आ जाएगी.”शशि ने नेहा को समझाना चाहा था.
“क्या राम के साथ तेरा कोई अफेयर चल रहा थामुझे पूरी बात बता तेरा मन हल्का हो जाएगा. अब एक बात सच-सच बतातूने ऐसा क्यों कहा था कि तूने उसे मार डालाअगर उस समय कुछ और कह डालती या तुझे एम्बुलेंस में जाने से मैने रोका ना होता तो अभी तू थाने में पुलिस वालों के सवालों का जवाब दे रही होतीअंजाम तो समझ ही सकती है.”शशि ने गंभीरता से कहा.
नेहा को जबरन बेड पर लिटा कर शशि भी लेट गईपर उस शाम के हादसे को भुला पाना उसे भी आसान नहीं था. सबकी मदद करने वाला रामसबके स्नेह का पात्र थाउसे भुलाना शशि को ही नहीं किसी को भी आसान नहीं होगा. राम की शर्ट की जेब से निकली उस इबारत का क्या अर्थ थाक्या राम किसी लड़की को चाहता थानेहा जो कह रही हैक्या उसमें कुछ सच्चाई हो सकती हैक्या नेहा वो लड़की हो सकती हैनहींनेहा जैसी अभिमानी लड़की के सपने तो आकाश छूते हैं. वैसे भी उसकी शादी की बात तो लन्दन में पोस्टेड आई एफ़ एस संजय के साथ हो रही है. राम उसके सपनों में कैसे आ सकता है. इसी उधेड़बुन में उलझी शशि न जाने कब सो गई.
तकिए में मुंह गडाए नेहा की आँखों से बह रहे आंसुओं से तकिया भीग रहा था. कॉलेज के पहले दिन से लेकर आज तक की बातें एक-एक कर के चलचित्र की तरह से मानस में उभरती आ रही थीं. क्यों ऐसा पागलपन सवार था उस परकैसे उन बातों को भुला पाएगी. चुन्नी मुंह में दबाए नेहा अपनी सिसकियों  को इस डर से दबा रही थीकहीं शशि ना जाग जाए. काश वह भी आज हमेशा के लिए  सो सकती. उसे राम से प्यार हो गया थापर हमेशा अपने को झुठलाती रहीनहीं ऐसा नहीं हो सकता. नेहा की बातों से अब तो राम को भी अपने प्रति उसके प्यार का विश्वास हो गया था. काश हंसी-हंसी में आज राम से मज़ाक न कर उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होताउससे अपने मन की सच बात कह दी होतीराम को अपने और उसके बीच प्यार पर पूरा यकीन था इसीलिए तो उसने उसे रोज़ गार्डेन में बुलाया था. नेहा समझ गई थी,थी आज वह अपने मौन प्यार को शब्द देने वाला थापर नेहा तू ये कैसी भूल कर बैठी.
वो कॉलेज का पहला दिन था. इस कॉलेज में आते ही शशि को यहाँ देख कर वह खुश हो गई थी. वो दोनो इंटरमीडिट के बाद अलग होगई थीं. शशि भले ही अभिन्न सहेली नहीं रही थीपर नए कॉलेज में पुरानी परिचिता मिल जाना अच्छा लगा था. बड़े स्नेह के साथ शशि नेहा को डिपार्टमेंट के साथियों से मिलाने ले गई थी. शशिके साथ नेहा को आते देख कर सारे लड़के उसका परिचय जानने को नेहा के  चारों ओर घिर आए थेपर सफ़ेद कमीज़-पैन्ट वाला वह लड़का सारे शोरगुल से उदासीन कम्प्यूटर में आँखें गडाए बैठा था.शुरू से नेहा ने अपनी सुन्दरता पर लड़कों को आहें भरते देखा था. कोई नेहा की उपस्थिति को यूं नकार देउसके लिए यह नया अनुभव था. उसकी उदासीनता नेहा को अपना अपमान लगा था.”नेहा की सिसकी से शशि ने करवट बदल कर पूछा-
अपने उस अपमान –अवज्ञा ने नेहा को तिलमिला दिया. मुख्य मंत्री के चीफ सेक्रेटरी की इकलौती सुन्दर बेटी से उसके माँ-पापा तक ने कभी ऊंची आवाज़ में बात नही की हैक्या समझता है ये अपने कोएक दिन इसका गर्व चूर-चूर ना किया तो मेरा नाम नेहा नहीं. मन ही मन में प्रतिज्ञा कर डाली थी. उसके जिद्दी स्वभाव को घर-बाहर सब जानते थेहमेशा जो निश्चय किया पूरा कर के ही चैन लिया. राम को घमंडी कहने पर शशि ने समझाया भी था-
“नेहा, राम घमंडी नहीं बल्कि उसकी परिस्थितियों ने उसे गंभीर बना दिया है. वह ज़रूर हेड का कोई कोई महत्वपूर्ण काम कर रहा होगासारे प्रोफ़ेसर और सब साथी उसे प्यार करते हैंवह सबका साथी हैपर किसी का भी घनिष्ठ मित्र नहीं. कभी किसी लड़की को लड़की की तरह देखा ही नहींउसके उदार और विशाल ह्रदय में हम सब उसके साथी हैंवह ना किसी का दोस्त है ना ही किसी का दुश्मन”
“तू हार जाएगीनेहा. मेरी बात मानराम एक सच्चामेधावीसरल ह्रदय वाला स्नेही युवक है. सबकी सहायता करने में वह प्रसन्नता का अनुभव करता हैबदले में कोई चाह नहीं रखता. वह दूसरों से बहुत अलग हैइसीलिए सब उसे प्यार करते हैं. तू खुद देख लेगीहेड उस पर कितना विश्वास रखते हैं,. प्लीज राम को हराने की जिद मत कर वरना पछताएगी.”
लड़कों की धीमी हँसी से तिलमिला उठी थीऐसा अपमान कैसे सह सकूंगी. नहीं उसे इस अपमान का बदला चुकाना ही होगा. उसे नीचा दिखाने की उसी दिन दूसरी बार फिर प्रतिज्ञा कर डाली. इस विश्वामित्र को अपने पैरों पर ना झुकाया तो मेरा नाम नेहा नहीं. क्या उसके लिए मेरी वो नफरत थी या प्यार की पहलउसके पहले किसी ने उसकी ऐसी अवहेलना नहीं की थी. तुमने ऐसा क्यों कियारामनेहा की सिसकियाँ फिर तेज़ हो गईं.
नेहा की बातों पर विश्वास करउदार राम नेहा को हिम्मत रखने और मेहनत करने को उत्साहित करता. नेहा जानती थी,उसकी कमजोरी से राम को सहानुभूति होतीउसका पुरुषोचित अहं नेहा की मदद कर के संतुष्ट होता था. नेहा जानती थी,किसी लड़की द्वारा की गई प्रशंसा पुरुष के अहं को तुष्ट करती है. इसीलिए उसकी हर बात को मुग्ध भाव से सराहती.
“जिन लड़कों से मेरी मित्रता की बात तुम कर रहे होउनके लिए लड़की से मित्रता और उससे लाभ उठाना बस खेल होता है. कोई भी समझदार लड़की एक ऐसा जीवन साथी चाहती हैजो सच्चा और गंभीर होअपनी मेधा के बल पर आकाशीय ऊंचाइयां छू सके. जिसके पास धन ना होपर प्यार की अगाध संपत्ति हो.” हायइतना बड़ा झूठ कैसे आसानी से बोल गई थी.सिसकियाँ तेज़ हो गई थीं.
 काश उससे ऐसा कहते समझ पाती कि उसका वो झूठ एक दिन सच बन जाएगा. उस दिन के बाद से राम की नज़रें कुछ बोलने लगी थींराम नेहा के साथ सहज हो चला था. नेहा भी राम के सानिध्य में अपने को बहुत सुरक्षित महसूस करती थी. अभी तक उसे अपने आसपास मंडराने वाले युवकों का ही अनुभव था जो उसके सौन्दर्य के दीवाने होते. उसे खुश करने के तरीके अपनातेपर राम उन सबसे कितना अलग था. नेहा की मदद करते समय उसकी मेधा नेहा को मुग्ध कर जाती,कितनी आसानी से वह बड़ी से बड़ी समस्या का कुछ क्षणों में समाधान कर जाता.सच्चे दिल से वह नेहा की सहायता करता.नेहा को एक सफल विद्यार्थी के रूप में आगे बढ़ने को उत्साहित करता.
नेहा राम के साथ बैठने लगी थी. साथियों के व्यंग्य उन्हें परेशान नहीं करते. कोई भी समस्या आने पर राम की मदद से नेहा आसानी से समस्या का समाधान कर लेती. राम नेहा की सहायता करके साथी होने का फ़र्ज़ सच्चे दिल से निभाता था. राम के साथ समय व्यतीत करना नेहा को अच्छा लगने लगा था. भविष्य के सपने देखने की जगह यथार्थ की कठोर भूमि पर जीते हुएआत्मविश्वास से चमकता उसका चेहरा नेहा को मुग्ध कर जाता उसकी मेधा नेहा को विस्मित करती.वह भूल गई इसी राम ने कभी उसकी अवज्ञा की थीऔर नेहा ने उस अपमान का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी.
राम का साथ नेहा को प्रिय लगता. वह जानती थी साथ के बहुत से युवक उसके साथ मित्रता करने के कई तरह के तरीके आजमाते,पर अब नेहा को जैसे किसी की ज़रुरत ही नहीं रह गई थी. राम के निश्छल स्वभाव के पारस ने जैसे नेहा को बदल दिया था. नेहा स्वयं अपने इस परिवर्तन को लक्ष्य कहाँ कर सकी थीखाली समय में दोनों अपने अनुभव शेयर करते. कभी- कभी अपने बचपन की शैतानियाँ सुनाता राम जैसे बच्चा बन जाता. उसकी बातें नेहा को हंसा जातीं. राम का दुखद अतीत सुनती नेहा की आँखें भर आतीं. राम की वृद्धा माँ गाँव में अपने भाई के साथ रहती थी. अपनी माँ को सुखी बनाना राम का संकल्प था. नेहा सोचतीउतने कष्टों में राम कैसे इतना मेधावी बन सका.
.पिछले कुछ दिनों से राम उससे कुछ कहना चाहता था. वैसे दोनों ही संकेतों में आजीवन साथ निभाने की बातें करते थे. नेहा समझ गई आज राम उसे प्रोपोज करने वाला था. यही उसका सरप्राइज होगा.नेहा को याद नहीं जिस राम को अपमानित करने का उसने निश्चय किया थाकब अनजाने ही उस राम की तीव्र मेधासादगी और सच्चाई के मोहपाश में बंध चुकी थी. अब वह जान चुकी थी कि उसे राम से प्यार होगया था. राम जैसा मेधावी और सच्चा प्यार करने वाला जीवन साथी मिलना सौभाग्य ही था.
अचानक मुस्कुराती नेहा के दिमाग में एक मजाकिया ख्याल आगया. जनाब ने कॉलेज के शुरू के दिनों में नेहा को बहुत सताया हैआज उसे परेशान करने का मौक़ा है. उससे कहूंगी मै उसे प्यार नहीं करती. उसे धोखा हुआ है. शाम की पार्टी में उसे सच्चाई बताऊंगी कि गार्डेन में उससे जो बातें कहीं वो सब झूठी  बातें थीं. वो तो मेरा मज़ाक था. सच्चाई तो कुछ और हैतुम मेरा प्यार होराम. मेरी सच्चाई जान कर राम का चेहरा खिल उठेगा. अपने मज़ाक की कल्पना से नेहा के चेहरे पर शरारती मुस्कान आगई.
राम के विस्मित स्तब्ध चेहरे को नेहा जान गई राम उसे कितना प्यार करता है. उसकी झूठी बातों को सच मान वह किस कदर दुखी हो गया था. राम को अपने मज़ाक से उतना दुखी होता देख खुशी से वापिस आई थी.अपनी बातों का मज़ा लेती नेहा सोच रही थी शायद वह कुछ ज़्यादा ही बोल गई. वैसे उसे यकीन है पार्टी नें वह राम को सच्चाई बता कर मना लेगी.वह राम को प्यार करती है ये बात सुन कर राम कितना खुश हो जाएगा.रोती नेहा की हिचकियाँ सुन शशि बाहर आगई.
“बस अब तेरा एक शब्द भी सहन नहीं कर सकती. तू लड़की के नाम पर कलंक है. तेरे बारे में पहले से जानी- सुनी बातें जानती हूँतूने न जाने कितनी बार ऐसे खेल खेले हैं. कितनों का दिल तोड़ा है. लड़कों को मूर्ख बनाना तेरी हॉबी रही है. राम कितने कोमल दिल का सीधा- सच्चा इंसान थातेरी बातों ने उसे पूरी तरह से तोड़ दिया. तू हत्यारिन है.” नफरत भरे शब्दों में शशि चीख सी पड़ी,
“मै तेरी झूठी बातों में नहीं आने वाली हूँ. तूने एक सच्चे इंसान राम की ही नहींसच्चे प्यार की भी ह्त्या की है. भगवान् करे तू पूरी ज़िंदगी प्यार के लिए तरसेतुझे किसी का प्यार ना मिले. समझ नहीं पा रही हूँतेरा क्या हश्र कर डालूंपुलिस के हवाले करने से तेरे पापा तुझे छुडा ले जाएंगे. अपने अक्षम्य पाप पर तू ज़िंदगी भर तिळ-तिळ कर जलती रहेमरती रहे,यही तेरी सज़ा होगी.” शशि चिल्ला रही थी आँखों से चिंगारियां निकल रही थीं.
“नहीं, राम ने भले ही तुझे माफ़ कर दिया होक्योंकि वह ऐसा ही था. जाते-जाते भी उसने तुझ पर और  अपने सच्चे प्यार पर आंच भी नहीं आने दीपर अब स्लिप पर लिखी इबारत का अर्थ साफ़-साफ़ समझ में आ रहा हैतूने उसे झूठे सपने दिखाए और निर्ममता से तोड़ दिए. तू उसकी आत्महत्या की निमित्त बनी हैनेहा. आज अपने से नफ़रत हो रही है, इतने दिनों तक तेरे साथ क्यों रहीभगवान् करे आज के बाद कभी तेरा चेहरा भी ना देखना पड़े.” फटाक से खुले कमरे का दरवाज़ा बंद करनेहा को बाहर ही छोड़शशि कमरे में चली गई.

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