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Sunday, December 16, 2018

First Flight ,Pehali Udan Hindi Story by LuvShyari 2019





पहली उड़ान


समय अविराम गति से बीत रहा थादस वर्ष वाली भीरु अनुपमा अब इक्कीस वर्ष की सुन्दरमेधावी युवती बन चुकी थी. सुन्दर मृदुभाषी अनुपमा अपनी मेधा और सरल स्वभाव के कारण सबकी प्रिय थी. साथ के युवक उसे हसरत भारी निगाहों से देखतेवह किसी की भी चाहत हो सकती थी. अनुपमा को बी- ए की परीक्षा में यूनीवर्सिटी में प्रथम स्थान मिला था. एम् ए में उसने अपना प्रिय विषय इतिहास लिया था. मुगले आज़म फिल्म ने उसे अभिभूत किया था. उसे आश्चर्य होता कैसे कुछ लोग इतिहास को नीरस और गड़े मुर्दे उखाड़ने वाला विषय कहते हैं. इतिहास तो रोमांसरोमांचरोचक तथ्योंअनपेक्षित घटनाओं और विस्मयकारी परिवर्तनों से भरा पड़ा है. हाँइन तथ्यों को समझने के लिए बुद्धि चाहिए. प्रोफ़ेसर अनुपमा की ऎसी ही बुद्धि और खोज की प्रशंसा करते. ताज्जुब है ऎसी अनुपमा को उसके पीछे दीवाने बने किसी युवकसे प्रेम नहीं हुआ.
अन्नू के माता-पिता अब उसके विवाह के लिए उपयुक्त वर की तलाश कर रहे थे. कई लड़कों ने अनुपमा के साथ विवाह के लिए प्रस्ताव भी भेजेपर उसके पापा अपनी अन्नू के लिए किसी ख़ास प्रस्ताव की प्रतीक्षा कर रहे थेअमरीका से एक बड़ी कम्पनी का सीनियर मैनेजर राहुल पापा को ही नहीं अन्नू को भी भा गया. सुदर्शन व्यक्तित्व के साथ उसके पास वो सब कुछ था जो किसी लड़की का सपना हो सकता है. अमरीका से भारत में विवाह के लिए आने वालों के पास अधिक समय नहीं होता. राहुल और अन्नू का विवाह शीघ्र ही धूमधाम से संपन्न होगया. विदाई के तुरंत बाद अन्नू अमरीका जा रही थी. मम्मी-पापा को छोड़ने का दुःख अमरीका के सुनहरे सपनों ने कम कर दिया था.
अन्नू को उसका कंसर्न अच्छा लगा था. शायद वो सच ही था. इसके पहले वह उतने बड़े विमान में कब बैठी थी. कुछ ही देर में विमान आकाश की ऊंचाइयां छू रहा था. एयर होस्टेस ने ड्रिंक्स सर्व करने शुरू कर दिए थे. कई वर्षों से विदेश में रहने वाले राहुल को सुरा- पान से ऐतराज़ नही था. और उसने अपनी मन पसंद ड्रिंक ली थी. अन्नू के सॉफ्ट ड्रिंक लेने पर राहुल ने उससे भी जब बियर या रेड वाइन लेने को कहा तो अन्नू ने मना कर दिया.
“आपकी बातें सुनने में अच्छी लगती हैंपर अमरीका में रहने पर आप अपने विचार अवश्य बदल लेंगी. वहां की सुख-सुविधाएं सबको बदल देती हैं. सच कहूं तो अमरीका को स्वर्ग कहने में मुझे कोई दुविधा नहीं है. यहाँ रहते मै सोच भी नहीं सका था कि इतनी कम आयु में मेरे पास शानदार नौकरी,कार और इतना बड़ा घर होगा.”राहुल ने अपना सच खुशी से बताया.
“आप ऐसा सोचती हैंपर जब मैने आपकी फ्रेंड्स को बताया कि मुझे अपने जाब में यू एस की कई स्टेट्स में प्लेन से बराबर आना-जाना होता है और अब शादी के बाद आप भी मेरे साथ प्लेन से पूरा यू एस घूमा करेंगी. यह सुन कर आपकी सहेली आशा बोली थी- ‘हाउ लकी’क्या आप अपने को लकी नहीं समझतीं?, हर एक को किस्मत से ऐसा चांस नहीं मिलता.” राहुल की आवाज़ में कुछ गर्व का पुट था.
अनुपमा  उर्फ़ अन्नू का घर इलाहाबाद के बमरौली हवाई अड्डे से करीब आठ मील दूरी पर था. दिन में न जाने कितने विमान घर के आँगन से आकाश में उड़ते दिखाई देते थे. उन विमानों को हवा में उड़ते देख दस वर्ष की अन्नू सोचती कैसे ये विमान चिड़ियों की तरह से पंख फैलाए आकाश में उड़ते हैं,अगर ये गिर जाएं तोइस कल्पना मात्र से अन्नू डर जाती.
एक दिन वो हादसा हो ही गया. स्थानीय कॉलेज के एक समारोह में कुछ नया करने की सोची गई. विमान को नीचे लाकर मुख्य अतिथि के गले में में हार पहिनाने के प्रस्ताव ने सीनियर विद्यार्थियों को उत्साहित कर दिया. यह नई पहल सबको विस्मित और प्रशंसित ही करेगी. इस कार्य के लिए विमान उड़ाने की ट्रेनिंग लेने वाले दो सीनियर युवाओं ने यह साहसी कदम उठाने का निर्णय लिया था. अंतत: लड़कियों के सामने हीरो बनने का इससे अच्छा मौक़ा कब मिलेगाउस दिन जब सबकी निगाहें नीचे आते हुए विमान पर निबद्ध थीं कि कब विमान से हार नीचे गिराया जाएगा और मुख्य अतिथि के गले की शोभा बढ़ाएगा. दुर्भाग्यवश गलत अनुमान के कारण विमान कुछ अधिक ही नीचे आगया और नियन्त्रण खो जाने के कारण कॉलेज की इमारत से टकरा गया. धू-धू जलते प्लेन के बीच दो दुस्साहसी युवाओं  का अनमोल जीवन लपटों की आहुति चढ़ गया.  समारोह की खुशी दुःख और हाहाकार में बदल चुकी थी. दृश्य देखती अन्नू माँ के आँचल में चेहरा छिपा भय से कांपती रो रही थी.
उस दिन के बाद से अन्नू को अक्सर सपनों में दुर्घटनाग्रस्त होते विमान दिखाई देते. रातों में उसकी नींद टूट जाती. बहुत समझाने पर भी अन्नू का यह भय उसकी बढती आयु के साथ भी कम नहीं हो रहा था. जब भी उसके पापा कहीं हवाई जहाज़ से जाते तो अन्नू उनके लौटने तक भगवान् से उनके सुरक्षित लौटने की प्रार्थना करती रहती. कुछ समय के लिए इलाहाबाद से दिल्ली के लिए फ़्लाइट शुरू की गई थी. अन्नू का भय दूर करने के लिए पापा ने कई बार दिल्ली जाने के लिए हवाई-यात्रा का प्रोग्राम बनायापर अन्नू ने जाने से साफ़ मना कर दिया. अंतत: उन्हें रेल-यात्रा ही करनी पडती.
“क्या फ़्लाइट-फ़ोबिया ऐसा क्योंआजकल तो इन उड़ानों की वजह से दुनिया कितनी छोटी होगई है. हज़ारों मीलों की दूरी कुछ घंटों में तय हो जाती है. आप अपने को इस सुविधा से वंचित कैसे रख सकती हैंअनुपमा जीमुझे तो उस दिन का इंतज़ार हैजब अपना यह टर्म पूरा कर के पक्के पायलेट के रूप में बड़े प्लेन्स ले कर देश-विदेश फ़्लाई किया करूंगा.”
हंसी-मज़ाक और पुरानी यादों की बातें दोहराते हुए लंच के बाद राज अपने पापा के साथ वापिस चला गया. अन्नू को यह सोच कर अच्छा नहीं लग रहा था कि राज ने उसकी कमजोरी पर व्यंग्य किया था. जो भी हो वह जाएगी ज़रूरपर उसके साथ फ़्लाई किसी हालत में नहीं करेगी.हाँ मम्मी का प्लेन में उड़ान भरने का शौक ज़रूर पूरा हो जाएगा. उसकी वजह से मम्मी-पापा भी प्लेन से नहीं जा पाते.
चार दिन बाद ही पर राज का फोन आया थाउन्हें दस बजे पहुंचना था. मम्मी के उत्साह का अंत नहीं था. बहुत कहने पर अन्नू भी उनके साथ जाने को तैयार हुई थी. हलके जामुनी रंग के सलवार-सूट  के साथ उसी रंग के मोती की माला और कान में लंबे इयरिंग पहिने अन्नू सच में दर्शनीय लग रही थी. एयरपोर्ट पर अपने प्लेन के पास राज उनकी प्रतीक्षा कर रहा था. अपनी यूनीफौर्म में वह शबनम के शब्दों में सचमुच बहुत इम्प्रेसिव लग रहा था.
राज की ऎसी बातों ने अन्नू को रोमांचित कर दिया. लाल पड़े चेहरे और धड़कते दिल के साथ वह पूर्णत: राज की बातों में बह गई थी. एक नया एहसास उसे रोमांचित कर रहा था. राज जैसे उसकी शक्ति बन गया थाउसका साथ उसे भय-मुक्त कर गया था. उसका मन अब जैसे आसमान बन गया थाजहां वह पंख पसारे उड़ रही थी. यह नया अनुभव तो बेहद मीठा थाजिसे जीने की चाह बढ़ गई थी.सपनों में जीती अन्नू ने जब धरती का स्पर्श किया तो वह दूसरी ही अन्नू थी.
अन्नू का दिल चाहता वह फ़्लाइंग की ट्रेनिंग के लिए एप्लाई कर देपर मन का संकोच रोक देता. क्या सब उस पर हंसेंगे नहींकहाँ तो फ़्लाई करने के नाम से डरती थीकहाँ खुद प्लेन उड़ाने की बात कर रही है. क्या राज को उसके लिए अपना यह प्रस्ताव याद होगाकाश वह खुद उसे याद दिलाता. कहीं शबनम की बात सच तो नहींउसे पहली उड़ान में राज के साथ ने इस तरह से विमोहित कर दिया कि वह उसका साथ पाने को अधीर है. वह अपने मन को समझाती नहींपहली उड़ान का पहला प्यार सच नहीं हो सकतापर दिल था कि उसकी बात मानने को तैयार ही नहीं था.
राकेश अंकल वापिस दिल्ली लौट गए थे. उनकी वापिसी के पहले उन्हें और राज को डिनर पर बुलाया गया था. अन्नू बेहद खुश थी. शायद उस दिन राज उसकी ट्रेनिंग की बात फिर दोहराए तो अन्नू ज़रूर एप्लाई कर देगी. राज की बातों और उसके साथ की उत्तेजित ऊष्मा को अन्नू भुला ही नहीं पारही थी. उसके अठारह वर्षों के जीवन में पहली बार किसी ने उससे ऎसी बातें की थीं. उस नए एहसास को भुला ही नहीं पा रही थी.अन्नू की आशा-निराशा में बदल गई. पन्द्रह अगस्त की तैयारी के लिए राज को वापिस दिल्ली बुला लिया गया था. फोन पर मिलने ना आ सकने के लिए क्षमा मांग कर राज दिल्ली चला गया था. अन्नू का मन जैसे चोट खा कर टूट गया था. अन्नू सोचतीकाश राज ने अन्नू के साथ प्यार पगी वो बातें ना की होतीं. शबनम हंसती-
समय हर घाव को भर देता हैअन्नू भी राज की यादों को भुला रही थी. दुर्भाग्यवश राकेश अंकल की अचानक मृत्यु के कारण राज के साथ कोई संपर्क भी संभव नहीं था. पापा ने इतना ही बताया था राज का सपना पूरा होगया थाअब वह बड़े विमान ले कर देश-विदेश जाता रहता है. अन्नू सोचती क्या राज उसे कभी याद करता होगाजिसने अपनी बातों से उस जैसी एक भीरु लड़की का भय कुछ देर में ही तिरोहित कर दिया था. आज इतने समय के बाद राज के सवाल पर अनुपमा फिर उसी एहसास को पूरी शिद्दत से दोहरा रही थी. शायद उसकी वो पहली उड़ान का नशा था या पहले प्यार का स्पर्श जो उसके जीवन को एक अभिनव मोड़ दे गया था.
अनुपमा सोच में पड़ गई उस छोटे से दो सीट वाले विमान की छोटी सी उड़ान में जैसा रोमांचखुशी,मीठे सपने थेक्या यह खुशनुमा विशालकाय विमान उसकी प्रतिपूर्ति कर सकेगाक्यों वो यादें आज तक उसके मानस में सजीव हैं. शबनम के शब्दों में पहली ही उड़ान में वह दिल हार बैठी थी. क्या उसके डर की तरह उसके मानस से पहली उड़ान का वो अविस्मरणीय रोमांचक एहसास भी मिट सकेगानहींशायद उस एहसास को अन्नू कभी नहीं भुलाना चाहेगी जो उसका भय भगाने में संजीवनी बूटी बना था. आँखें मूँद अन्नू अपनी सीट से सिर टिका भूले सपनों की उड़ान भर रही थी.

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